एक अकेली 60 वर्षीय गोरी नानी, आराम की तलाश में, अपने सौतेले पोते की ओर मुड़ जाती है । उनकी अंतरंग मुठभेड़ एक अतृप्त इच्छा को प्रकट करती है, जो एक भावुक, वर्जित-तोड़ने वाली मुलाकात में समाप्त होती है ।